शिव ही शक्ति है

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“सत्य कभी परेशान हो ही नहीं सकता, क्योकि वो तो सत्य है, श्रवण और दृष्टि से परे, सबसे सुंदर, अगर वो परेशान हो रहा है तो निश्चित ही मिलावटी है, और पराजित होने का तो सवाल ही नहीं उठता, क्योकि ईश्वर सत्य है, सत्य ही शिव है , शिव ही सुंदर है”

- प्रोफ़ेसर सिद्धार्थ संघवी

सत्य — अचल, शांत और सर्वसुंदर

सत्य कभी परेशान हो ही नहीं सकता, क्योंकि सत्य स्वयं में पूर्ण है। वह न किसी की स्वीकृति से बड़ा होता है, न अस्वीकृति से छोटा। सत्य तो श्रवण और दृष्टि से परे है — उसे न सुना जा सकता है, न देखा जा सकता है, केवल अनुभव किया जा सकता है।

जो चीज़ परेशान होती है, वह सत्य नहीं, सत्य का मिलावटी रूप होती है — जिसमें अहं, मोह, या भ्रम की मिलावट होती है। क्योंकि शुद्ध सत्य निर्विकार होता है। उसमें कोई द्वंद्व नहीं, कोई अपेक्षा नहीं, कोई अस्थिरता नहीं।

सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता, क्योंकि सत्य का कोई विरोधी नहीं। असत्य केवल सत्य का अभाव है — जैसे अंधकार प्रकाश का अभाव होता है। जब सत्य आता है, असत्य स्वयं विलीन हो जाता है।

ईश्वर स्वयं सत्य है। सत्य ही शिव है, और शिव ही सुंदर है। इसीलिए कहा गया है — “सत्यम् शिवम् सुन्दरम्”। यह तीनों एक ही तत्व के तीन आयाम हैं — सत्य (स्वरूप), शिव (चैतन्य), और सुंदर (अभिव्यक्ति)।

यदि भीतर बेचैनी हो, तो समझ लेना कि वहाँ अभी सत्य का प्रकाश नहीं पहुँचा। सत्य को खोजो नहीं — बस असत्य को छोड़ते जाओ।